जय हिंदी जय भारती

जय हिंदी, जय भारती

सरल, सरस भावों की धारा,
जय हिंदी, जय भारती।

शब्द शब्द में अपनापन है
वाक्य भरे हैं प्यार से
सबको ही मोहित कर लेती
हिंदी निज व्यवहार से

सदा बढ़ाती भाई-चारा
जय हिंदी, जय भारती।

नैतिक मूल्य सिखाती रहती
दीप जलाती ज्ञान के
जन-गण-मन में द्वार खोलती
नूतनतम विज्ञान के

नव-प्रकाश का नूतन तारा
जय हिंदी, जय भारती।

देवनागरी, भर देती है
संस्कृति की नव-गंध से
इन्द्रधनुष से रंग बिखराती
नव-रस, नव-अनुबंध से

विश्व-ग्राम बनता जग सारा
जय हिंदी, जय भारती।

-- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
८ सितंबर २०१४

 

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