आओ, हिंदी दिवस मनायें

मिलकर झूमें मिलकर गायें
सुखद अतीत भविष्य बतायें
आओ, हिंदी-दिवस मनायें।

अवधी, पंजाबी या सिन्धी
छत्तिसगढ़ी, खड़ी, बुन्देली
भोजपुरी, मैथिल, ब्रजभाषा
साथ साथ सब हिलमिल खेली

राजनीति के कुशल खिलाड़ी
फिर भी इनपर आँख गडायें।
आओ, हिंदी दिवस मनायें।

कितनी प्यारी कितनी मीठी
जो थी कभी लश्करी बोली
बनी रेख्ता कवि मन भायी
उर्दू, हिंदी की हमजोली

घूम रहे संस्कृति के दुश्मन
बुरी नजर से इन्हें बचायें।
आओ, हिंदी दिवस मनायें।

प्रिंट मीडिया भूल चुका है
हिंदी के प्रति जिम्मेदारी
गलत बोलना, लिखना, पढ़ना
हिंदी चैनल की बीमारी

शुद्ध वर्तनी, सही व्याकरण
खुद सीखें, जग को समझायें।
आओ, हिंदी दिवस मनायें।

राष्ट्रगीत, राष्ट्रीय कलेंडर,
पुष्प वृक्ष राष्ट्रीय जहाँ
हिंदी ही क्यों रहे अकिंचन?
क्यों न मिले पद, मान यहाँ

"जय हिंदी, जय देवनागरी"
मूलमंत्र ले कदम उठायें।
आओ, हिंदी दिवस मनायें।

- अनिल कुमार वर्मा 
१ सितंबर २०१५

 

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