मातृभाषा के प्रति


नवीन चतुर्वेदी की कुंडलियाँ

अंग्रेजी में दागते, हिन्दी के गुणगान ।
उदघोषक हैं टॉप के, ऊँची उनकी शान ।।
ऊँची उनकी शान, ज्ञान की खान लुटाते ।
करें प्रज्वलित दीप, और फिर 'पेग' चढाते ।
देखा जब यह खेल, हो गए हम भी क्रेजी ।
हिन्दी वाली 'आय' और खर्चे 'अंग्रेजी' ।।

हिन्दी, हिन्दी, हिन्दवी, गूँजे चारों ओर ।
हिन्दी-हिन्दुस्तान का, दुनिया भर में शोर ।।
दुनिया भर में शोर, होड़ सी मची हुई है ।
पहले पहुँचे कौन, शर्त सी लगी हुई है ।
करो नहीं तुम भूल, समझ कर इस को चिंदी ।
गूगल, माय्क्रोसोफ्ट, आज सिखलाते हिन्दी ।।

हिन्दी में ही देखिये, अपने सारे ख़्वाब ।
हिन्दी में ही सोचिये, करिये सभी हिसाब ।।
करिये सभी हिसाब, ताब है किसकी प्यारे ।
ऐसा करते देख, आप को जो दुत्कारे ।
एप्लीकेशन-फॉर्म, भले न भरें हिन्दी में ।
पर अवश्य परिहास-विलाप करें हिन्दी में ।।

हिन्दी भाषा से अगर, तुम को भी हो प्रेम ।
तो फिर मेरे साथ में तुम भी लो यह नेम ।
तुम भी लो यह नेम, सभी मुमकिन हिस्सों में ।
हिन्दी इस्तेमाल - करें सौदों-किस्सों में ।
छोटी सी बस मित्र यही अपनी अभिलाषा ।
दुनिया में सिरमौर बने यह हिन्दी भाषा ।।

हिन्दुस्तानी बोलियों, को दे कर सम्मान ।
अंग्रेजी को भी मिले, कहीं-कहीं पर स्थान ।।
कहीं-कहीं पर स्थान, तभी भाषा फैलेगी ।
पब्लिक ने इंट्रेस्ट लिया, तब ही पनपेगी ।
भरी सभा के मध्य, बात कहते एलानी ।
अपनी वही ज़ुबान, जो कि है हिन्दुस्तानी ।।

नवीन चतुर्वेदी
१२ सितंबर २०११

 

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