| हिंदी की 
	जयजयकार करें हिंदी की जय-जयकार करेंहिंदी की जय-जयकार करें
 हिंदी जन मन की अभिलाषायह राष्ट्र प्रेम की परिभाषा
 भारत जिसमें प्रतिबिंबित है
 यह ऐसी प्राणमयी भाषा
 पहचानें अपनी परंपराफिर संस्कृति का सत्कार करें
 भावों का सरस प्रबंध यहीअपनेपन का अनुबंध यही
 जोड़े मुझको, तुमसे, उनसे
 रिश्तों की मधुर सुगंध यही
 हिंदी प्राणों की उष्मा हैतन से-मन से स्वीकार करें
 यह विधापति का गान अमर'मानस' का स्वर-संधान अमर
 ब्रज की रज में लिपटा-लिपटा
 यह अपना ही रसखान अमर
 पहचानो ज़रा जायसी कोफिर भावों का संभार करें
 वीरत्व, ओज साकार यहाँभूषण की दृढ़ हुंकार यहाँ
 चिड़ियों से बाज लड़ाऊँगा
 गुरु गोविंद की ललकार यहाँ
 पहचानें स्वर की शक्ति प्रखरदृढ़ता का ऋण स्वीकार करें
 आल्हा की दृढ़ हुंकार सुनोबिरहा की करुण पुकार सुनो
 ढोला, कजरी, फगुआ, चैता
 पावस की मधुर मल्हार सुनो
 जो व्याप्त मरण में, जीवन मेंउसको जीवन-आधार करें
 हिंदी दादी की दंत कथामाँ की लोरी की यही प्रथा
 अनुभव दुनिया का लिए हुए
 यह है बाबा की राम कथा
 हिंदी बहिनों की राखी हैतन-मन-प्राणों से प्यार करें।
 डॉ. राम सनेही लाल शर्मा 
	'यायावर'1 नवंबर 2006
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