होली
है
!!

 

 

 

 

होली - कुछ चित्र


 

खुलते जाते सब गठबँधन
आसमान से हटते पहरे
जब से फागुन ले कर आया
पीत पराग हुए कुछ गहरे

पीली हल्दी, सजी किनारी
खिली धूप की चादर ओढ़ी
आँगन पूरा हरसिंगार-सा
और वसंत खड़ी है ड्योढ़ी

पच पच पच करती पिचकारी
रँगों की बहती फुलवारी
मल गुलाल सिहरी दोपहरी
मेघों का सुन गर्जन भारी

आँगन में फ़ैली है किच-पिच
रंग सुनहरे नीले पीले
सूर्य किरण अब उन्हें सोख के
खेल रही गलियों में होली

रजनी भार्गव
१७ मार्च २००८

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