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पिता के लिये
पिता को समर्पित कविताओं का संकलन
 

 


मेरे बाबा 

संत कबीर, तुका तुलसी सब हरदम जिनके पास रहे
मेरे बाबा सदियों से इक अनुभव के इतिहास रहे

सूरज धूप पसीना ढोते सबकी बरगद छाया बन,
सर की छप्पर-छानी के वो कुशल एक नक्कास रहे

हवा-हवा के चेहरे पढके मन की बातें बतला देते
बरसा के पत्रे बाँचे सच, बादल के विश्वास रहे

अपने हिस्से की रोटी भी दे देते नन्हें पेटों को
उनके लिए कोई पूछे तो, कह देते ''उपवास रहे''

बीज बैल हल के मुहूर्त पर हर शय के पावों छूते
खेतों की मेढ़ों पे उनके पूरी उम्र उजास रहे

अनजाने हरबोलों संतो तक को न्योत दिया करते
रिश्तों के संबोधन देते प्रेम की हरदम प्यास रहे

जंगल देखे नदियाँ देखीं, फूल खार के अनुभव सीखे
बचपन की प्यारी यादों में वो कुछ खासम-ख़ास रहे

- राजकुमार महोबिया
१५ सिंतंबर २०१४

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