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पिता के लिये
पिता को समर्पित कविताओं का संकलन
 

 

पिता की ओर से

सच है कि
पिता होने के नाते
मैंने माँ की सी पीड़ा नहीं झेली
पिता होने की पीड़ा के लिये प्रार्थना

पर मेरे बच्चो!
तुम्हें कोमल स्पर्श देने के लिए
छिल छिल कर मेरी हथेलियाँ
अब मुझे ही खरोंचने लगी हैं -
यह तो अच्छा है कि
अब तुम सब बड़े हो गये हो
और अब तुम मेरे स्पर्श के सहारे
बड़े नहीं हो रहे।
अब तुम्हें मेरे पाँवों का झूला
केवल यादों की बात लगता है।
रात में बिवाइयों का दर्द मुझे भी
बहुत कुछ याद दिलाता है।
पुरुषवादी समाज और सोच की
यंत्रणा मेरे अनुभव में है -
बच्चों की किसी भी त्रुटि का
पहला अभियुक्त होता है पिता!
बच्चों के लिए साधन के हर अभाव से
और निर्धन हो जाता है पिता!
मेरा जीवन भी अपवाद कैसे होता?
पर मुझे ख़ुशी है
मैं तुम्हारा पिता होने का
गर्व इस जीवन में पा सका
और जब तुम सबने कल
मेरी संतति होने का हर्ष जताया
तो मेरी अगले जन्म में भी
पिता बनने की प्रार्थना
जरा भी असंगत नहीं लगी।

- प्रेम मोहन
१५ सिंतंबर २०१४

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