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पिता के लिये
पिता को समर्पित कविताओं का संकलन
 

 

बरगद जैसी छाँव पिता

जीवन की इस कड़ी धूप में
बरगद जैसी छाँव पिता

मुँह बाए से उत्तर हैं सब
प्रश्नों के चौराहे पर
संवेगों की भूमि हो रही
क्षण-क्षण पल-पल अब ऊसर

टूटे-बिखरे हुए समय में
सपनों का है दाँव पिता

सन्दर्भों की आँख-मिचौली
रचते भाव नए प्रसंग
इच्छाओं की दिशाहीनता
विचलित हुआ एक विहंग

भीड़ भरी आपाधापी में
शांत-सलोनी ठाँव पिता

- ब्रजेश नीरज
१५ सिंतंबर २०१४

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