| चाय पीते हुएमैं अपने पिता के बारे में सोच रहा हूँ।
 आप ने कभीचाय पीते हुए
 पिता के बारे में सोचा है?
 अच्छी बात नहीं हैपिताओं के बारे में सोचना।
 अपनी कलई खुल जाती है।
 हम कुछ दूसरे हो सकते थे।पर सोच की कठिनाई यह है कि दिखा देता है
 कि हम कुछ दूसरे हुए होते
 तो पिता के अधिक निकट हुए होते
 अधिक उन जैसे हुए होते।
 कितनी दूर जाना होता है पिता सेपिता जैसा होने के लिए!
 पिता भीसवेरे चाय पीते थे।
 क्या वह भी
 पिता के बारे में सोचते थे -
 निकट या दूर?
 - अज्ञेय |