पिता की तस्वीर
पिता को समर्पित कविताओं का संकलन

 

शिवास्ते पंथान: सन्तु

जीवन मँझधार
यादें हज़ार

जवानी का जोश
जगत मुट्ठी में
कुछ करना था
कुछ बनना था
कैसे कहाँ
मंज़िल की खोज थी

कदम इधर
कदम उधर
सीधे टेढ़े
आगे पीछे
ठोकरें दर बदर
फिर भी
दर्द छुपाए
एक बाप
हाथ थामे रहा

आरजू हज़ार
ज़िंदगी की तलाश
देश से परदेश
सब छोड़ना था
दूर दूर जाना था
मंज़िल की पुकार थी

एक बाप ने
मूक आँखों से
कह दिया
बेटा
शिवास्ते पंथान: सन्तु!

- अश्विन गांधी


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter