रिमझिम बरसात में

वर्षा मंगल
 

रिमझिम बरसात में
सावनी प्रभात में
रोप रही खेतों में धान
अंतस में
गूँज रही
पपिहे की तान

वर्षा की बूँदों में
यौवन, मनसिज सींचे
कजरी की तानों पर
झूलें, निबिया नीचे

झेल रहा
मन आकुल
पुरवा के बान
अंतस में
गूँज रही
पपिहे की तान

ओढ़े चूनर धानी
सतरंगी गोट जड़ी
चौथी की दूल्हन सी
धरती है सजी खड़ी

ढूँढ़ रही
कोई वह
पहली मुस्कान
अंतस में
गूँज रही
पपिहे की तान

भावों के झुरमुट में
आशा की सेज सजा
अरुणारे नयनों में
सुधियों की ज्योति जगा

तड़प रही
तरुणाई
थामें अरमान
अंतस में
गूँज रही
पपिहे की तान

- अनिल कुमार वर्मा
३० जुलाई २०१२

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