वसंती हवा

आया है फागुन
डॉ सरस्वती माथुर

 

मेंहदी के रंग लिए
आया है फागुन
शहरों गाँवों में
छाया है फागुन

जीवन में रस
टटोल रहा फागुन
पनघट चौपालों में
डोल रहा फागुन

रंगों में डूबे हैं
संगी साथी
भांग साँसों में
घोल रहा है फागुन

तितली के रंग लिए
टेसू के रंगों से
पलाशी बारिश
बरसा रहा फागुन

होली के रंग संग
गुलालों के सतरंग ले
नज़र आ रहा है
बस फागुन ही फागुन

1 मार्च 2007

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