| मंद पवन मादक मदन, प्रियतम भाव विभोर,पायल-ध्वनि मोहक लगे, शेष सबइ कछु शोर
 नयनन सोहे प्रीत रंग, प्रीत पवन चहुँ ओरटेसू बोते वेदना, विरहन पीर अछोर
 प्रिय बिन बैरन-सी लगे पायल की झंकार हाथ निवाला ले खड़ा ओंठ करे इनकार
 देह जगाए कामना, हाथ सजाते रूप दरपन तब जाके कहे- "अब तुम प्रिय अनुरूप''
 मादक माधव माह यो, जोग-बिजोग दिखाएप्रिय से दूर तनिक रहो, प्रीत दुगुन हुई जाए
 तापस का प्रिय राम है, ज्यों बनिकों को दाम प्रेम-रीति के दास हम, मुख वामा को नाम
 ११ फरवरी २००८ |