देश दशा और हिंदी

देखि दशा हिय सोच बसा नर नारि बिसारि दयो अब हिंदी
लाल ललाट सजी कबहू वह ज्यों सखि सोह रही सिर बिंदी
राज करें सब भाषन हूँ पर आज बनी घर क्यों वह बन्दी
कालिय नाग बनी अँगरेजिन दूषित पावन है य कलिंदी

नाथ सनाथ करो अब है तुम द्वार खड़ी बिलखाय रही वो
पूत कपूत बने अब है सब मानस पीर सुनाय रही वो
फादर आज कहे पितु को यँह मातु हि मोंम बताय रही वो
टीचर कीचर में लिपटे अरु फीचर देश दिखाय रही वो

- चिदानंद शुक्ला
८ सितंबर २०१४

 

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