भारती की आरती

सूर की सरलता कबीर की सधुक्कड़ी से
भारती की आरती है महिमा विमंडिनी
चन्द्रवरदाई के हैं छंद चंद अंचल के
हुलसी के तुलसी की भक्ति-छाँह -संगिनी
है प्रसाद की गिरा प्रसाद सी प्रसादिनी औ'
भूषण की लेखिनी के शौर्य की तरंगिनी
मीरा-महादेवी के-से वेदना का गीत तुम्हीं
छायावाद की सजी तुम्हीं से चतुरंगिनी

'बच्चन' की 'मधुशाला' की दिगंत में सुगंध
सोंधी धरा-गंध 'मैले आँचल' की 'रेणु' के
कामायनी, उर्वशी, साकेत औ' चिदम्बरा-सी
कालजयी कृतियों के स्वर मन्द्र वेणु के
कई त्रसरेणु के कणों-सी परिदृश्य पूरें
कई कृतियाँ लिए हैं गुण पुष्परेणु के
प्रेमचन्द की कथा 'गोदान' वाली चित्त रमै
कीर्ति-थंभ ये हैं भाषा हिंदी कामधेनु के

- पंकज परिमल
८ सितंबर २०१४

 

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