आवाहन

हिन्दी मे ही प्यार करो, काम करो सब हिन्दी में,
भारत माँ की शान बढ़ा, कुछ नाम करो अब हिन्दी में।
हिन्दी-हिन्दी देश की भाषा हिन्दी,
हिन्दी-हिन्दी राष्टृ की भाषा हिन्दी।।

नहीं एक हम हो पाएँगे, जब तक भाषा बँटी रहे,
और विदेशी कुप्रभाव से, लोक लाज सब लुटी रहे,
यदि भारत माता है तो फिर, उसकी लाज बचानी है,
जो अपनी भाषा है हिंदी, जन-जन को अपनानी है,
हिन्दी में व्यापार करो, अधिकार करो
सब हिन्दी में

हिन्दी-हिन्दी देश की भाषा हिन्दी,
हिन्दी-हिन्दी राष्टृ की भाषा हिन्दी।।

हिन्दी मिट जायेगी, तो फिर भारत ही मिट जायेगा
भाषा ही पहचान है, भारत-भारत नहिं रह पायेगा
हिंदुस्तानी कहने वाले, हिन्दी को क्यों भूल रहे
अपनी माँ की भाषा में, अब लोरी सुनना भूल रहे
नेता जी से कह दे, अपना भाषण भी दें हिन्दी में
हिन्दी में ही हार करे, और जीत करे
अब हिन्दी में

हिन्दी-हिन्दी देश की भाषा हिन्दी,
हिन्दी-हिन्दी राष्टृ की भाषा हिन्दी।।

नाम उमेश, महेश, गनेश, सुरेश, रमेश कहाँ होगा,
वेदों की पावन धरती पे, गीता गान कहाँ होगा,
खण्ड-खण्ड में बँटे रहे तो, शक्ति प्रचंड कहाँ होगी,
भारत माता की पूजा की, भक्ति अखण्ड कहाँ होगी,
मान करो, अभिमान करो, अब राष्ट्र की
भाषा हिन्दी में,

हिन्दी-हिन्दी देश की भाषा हिन्दी,
हिन्दी-हिन्दी राष्टृ की भाषा हिन्दी।।

गलत सही बोलो, कैसे भी बोलो अपनी भाषा है,
सूक्ष्मदृष्टि से देखो, हिन्दी भारत भाग्य विधाता है,
है अपनी कमजोरी, अपनी भाषा में नहिं बोल सके,
निज भाषा में अपनी प्रतिभा, उन्नति को नहिं तोल सके,
खोज कोई साकार करो, विस्तार करो
अब हिन्दी में,

हिन्दी-हिन्दी देश की भाषा हिन्दी,
हिन्दी-हिन्दी राष्टृ की भाषा हिन्दी।।

- उमेश मौर्य
८ सितंबर २०१४

 

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