बूँद की विदाई

वर्षा मंगल
 

कितनी छोटी थी ऐ बूँद जब तू
मेरे आँगन में आई थी
गाती थी ,थिरकती थी
और घबराई थी

तेरे लिए हर कविता
हर लोरी मैंने सजाई
तुझे सपनों के राज कुमार की
कहानियाँ मैंने सुनाई
कर दी
कल सावन के संग तेरी
विदाई

हवाओं ने लहरा -लहरा
छेड़ी सरगम
सूरज ने भी बजाई
छाया वाली
गुनगुनी धुन
चाँद तारों ने तेरी डोली
सजाई
पर सगाई के बाद
हर बात तेरी याद मुझे आई

३० जुलाई २०१२

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