वसंती हवा

सेमल के गाँव में
डॉ. शीला मिश्रा

 

आज धूप भटक गई
सेमल के गाँव में।

अनियारे नयनों की
अनबोली चितवन-सी
साँसों में लाज भरी
खोई-सी पुलकन-सी।

आज आँख अटक गई
असुवन की छाँव में।

घर आए पाहुन-सा
मौसम नखरीला
नयनों के पानी से
घर आँगन गीला

किसकी यह सुधि आई
ठोकर-सी पाँव में।

साँसों की टहनी पर
यादों के फूल-सी
अल्हड़ किशोरी की
छोटी-सी भूल-सी

आज साँस भटक गई
पथरीली ठाँव में

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