पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ११. २०१९

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 चुप्पियों को तोड़ते हैं

 

 

हम नहीं हैं मूक मानव
चुप्पियों को तोड़ते हैं

वेदना मन में जगी है
किन्तु कब ये नैन रोते
हम धधकती भट्टियों में
है सृजन के बीज बोते

बादलों की मटकियों को
कंकड़ों से फोड़ते हैं

दीखते बौने सरीखे
वक़्त की छाया बड़ी है
किन्तु जीतेंगे यहाँ पर
ये भले मुश्किल घड़ी है

टूटती हर साँस में भी
जिंदगी को जोड़ते हैं

फड़फड़ाते पंख पिजड़ों-
में भला अब क्यों रहेंगे
है सुबह स्वाधीनता की
मिल गगन में वो उड़ेंगे

एक गहरी साँस को हम
फिर हवा में छोड़ते हैं

- योगेन्द्र प्रताप मौर्य

इस माह

गीतों में-

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योगेन्द्र प्रताप मौर्य

अंजुमन में-

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अनामिका सिंह अना

छंदमुक्त में-

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जगदीश पंकज

विविधा में-

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आभा खरे के माहिये

पुनर्पाठ में-

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भगीरथ बडोले

पिछले माह
१ अक्तूबर २०१९ को प्रकाशित
दीपावली विशेषांक में

गीतों में- अजय पाठक, उमा प्रसाद लोधी, ओमप्रकाश नौटियाल, गिरिजा कुलश्रेष्ठ, जया पाठक, नियति वर्मा, पूर्णिमा वर्मन, प्रियव्रत चौधरी, मधु प्रधान, राजेश कुमार, रंजना गुप्ता, डॉ.रूपचंद्र शास्त्री मयंक, शिवानंद सिंह सहयोगी, शैलेष गुप्त वीर, सुरेन्द्र कुमार शर्मा, सुरेन्द्रपाल वैद्य। अंजुमन में- आशुतोष कुमार सिंह, मनोज भावुक, त्रिलोक सिंह आनंदछंदमुक्त में- अमिताभ मित्र, मंजुल शुक्ला. सुरजीत कौरदोहों में-  आर. सी. शर्मा आरसी, दिनेश रस्तोगी, सरदार कल्याण सिंह

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी