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पूनम भारत की गज़ल


  खंजरों की नोक से

खंजरों की नोक से तारीख लिखानी चाहिए
बोलती–सी हर दर–ओ–दीवार दिखानी चाहिए।

इन गुफाओं में करेंगे रोशनी जैसे भी हो
बुझती आँखों में धधकती आग दिखनी चाहिए।

उम्र बीते देहरी पर हमको इसका ग़म नहीं
खोलते ही द्वार पर मुसकान दिखनी चाहिए

हम भरोसेमंद कैसे आपको कह दें भला
जैसी इस दिल में है वैसी बात दिखानी चाहिए।

जो हमारा दर्द नापे ऐसा पैमाना नहीं
हर जगह लिक्खी हुई तहरीर दिखानी चाहिए

चंद सिक्कों से तुला पर न्याय बिकता है यहां
खनखनाहट से परे इंसाफ दिखाना चाहिए।

आसमानी बात मन को अब जरा भाती नहीं
इस ज़मीं पर तो कहीं शुरूआत दिखानी चाहिए।
 

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