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फूल ने सीखा
 
 
मैं तुझे उपहार में
कुछ पुष्प देना चाहती हूँ
बात कुछ भी है नहीं
बस मन की करना चाहती हूँ

हाथ में हैं फूल इतने
नाम क्या हैं मैं तो भूली
याद आते हैं न मुझ को
कितना मैं यादों में झूली
मेरा मक़सद है यही बस
प्यार देना चाहती हूँ
बात कुछ भी है नहीं
बस मन की करना चाहती हूँ!!

जब मैं दूँगी पुष्प तुझको
तू गले लग जाएगी
एक निश्छल मुस्कराहट
होठों पर खिल जाएगी
ओ सखी, प्यारी सखी
मैं पल वो जीना चाहती हूँ
बात कुछ भी है नहीं
बस मन की करना चाहती हूँ!!

- आभा सक्सेना दूनवी
१ जून २०१८

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