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मुस्काते हैं देखो फूल
 
 
लाल गुलाबी, पीले पीले, इतराते हैं देखो फूल
डाली से बिछड़े हैं फिर भी, मुस्काते हैं देखो फूल

खिले भोर जब लाल सुरंगी, और रश्मियाँ गायें गान
भौंरे छेड़े राग कोई तब, खिल जाते हैं देखो फूल

हार न जाना मुश्किल में तुम, ये सब हैं जीवन के रंग
काँटों के संग भी खुश रहना, सिखलाते हैं देखो फूल

बँधे गुच्छ में, देते सबके, होंठों को मधुरिम मुस्कान
मौसम का रंगीन फ़साना, कह जाते हैं देखो फूल

मधुवन नाज उठाये इनके, और बहारें करतीं प्यार
भीनी भीनी महक हवा में, बिखराते हैं देखो फूल

- रमा प्रवीर वर्मा
१ जून २०१८

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