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गोप कुमार

जन्म-
४ फरवरी १९६० को जिला सीतापुर उ०प्र० के गाँव चडरा में।

साहित्य सृजन यात्रा की शुरुवात हुई सन २००० से। जब मै जयपुर स्थानान्तरण पर आया।

संप्रति-
पालम एअरपोर्ट पर सहायक महाप्रबंधक/संचार/ पद पर कार्यरत।

ईमेल- gopekumar.gope@facebook.com

 

नदी और तट (दोहे)

बाँह पसारे तट करें प्रेम पगी मनुहार।
कल-२ करती छल गयी बहती नदिया धार।। १ ।।

आज नहीं तो कल सही कहते यही कछार।
छलना तू छल जाएगी इक दिन सागर द्वार।। २ ।।

एक कदम नहिं दे सका जो मौजों का साथ।
तू निश्चल मैं चंचला क्यों कर होगा साथ।। ३ ।।

छलिया जिसको छल कहे मेरा निष्छल प्यार।
नदिया सागर हो गयी जीती खुद को हार।। ४ ।।

गोप मिलन मुश्किल सही बन नदिया की आस
सागर खुद आ जायेगा देख नदी की प्यास।। ५ ।।

२४ जून २०१३

 

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