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छत्र पाल

जन्म- २७ मार्च १९५८ को अमानपुरा बार, डाक घर-उल्द्न, तहसील- मऊ-रानीपुर, जनपद-झाँसी, उत्तर प्रदेश।
शिक्षा:- बी एससी (जीव विज्ञान) एवं बी एड।

कार्यक्षेत्र- भारतीय रेल में प्रथम श्रेणी अधिकारी। एवं स्वतंत्र लेखन।

संप्रति- अपर निबंधक, रेल दावा अधिकरण, अहमदाबाद ।

ईमेल- crmsvkkvsmrs@gmail.com

 

हँसिकाएँ

१-जल्दबाजी

पचास पार कर रहे रसिया को,
पैंतालीस के ऊपर की छमियां से,
प्यार हो गया।
और उसने पहली ही मुलाकात में ही,
“मैं तुमसे प्यार करता हूँ” कह दिया।
और इस जल्दबाजी का कारण बताया,
क्या पता कल जिया या न जिया।

२-ठोक बजा कर

मेरी नज़र में तबला वादक,
सबसे ज्यादा जहीन होता है,
हमेशा वह ठोक कर ही बजाता है।
खरीदेगा तो ठोक बजा कर,
कहेगा तो भी ठोक बजा कर।

३-बिंदी

आजकल महिलाओं को,
अंग्रेजी की अपेक्षा,
हिन्दी बहुत ही कम आती है।
इसीलिए वे अपने माथे पर,
बिंदी कम ही लगाती हैं।

४-फुलके

वे एक दर्जनसे अधिक
रोज खा लेते हैं,
फुलके।
आश्चर्य है फिर भी
कैसे?
बने रहते हैं,
इतने हलके-फुलके?

५-चलकर

थाने में,
आत्मसमर्पण करने आये,
हत्यारे से,
पूंछा गया, कैसे आया,
वाहन से या फिर चलकर?
जवाब मिला,
वाहन से, कुचलकर।

६-राजनेता

वही असली राजनेता है,
जिसकी पत्नी राजनीति हो,
वक्त पड़ने पर जो,
छोड़ सकता हो राजनीति को।
स्वांग भरने में न
बहुरुपिया भी उसके समक्ष न हो।
पक्ष हो या विपक्ष हो,
राज से चिपका रहे,
नीति से मुंह फेरने में दक्ष हो।

७-षडयंत्र

क्या बकवास करते हो,
उसे सज़ा हो गई,
और वह जेल को गया?
जी हाँ उससे एक गलती हो गई,
संयंत्र को षणयंत्र लिख गया,
और अपनी रिपोर्ट में लिख दिया,
षणयंत्र फेल हो गया।


८-तरजीह

बस में, महिलाओं की
सीटों के पास,
लिखा होना लगता अजीब है।
कि,
“गर्भवती और बच्चों वाली,
महिलाओं को तरजीह दें।”

९-घाघरा

आज के अखबार में पढ़ी,
टिप्पणी तूफ़ान पर।
घाघरा की तरफ न जाएँ,
घाघरा उफान पर।
घाघरा खतरे का निशान,
पार कर गयी।
घाघरा खतरे का निशान ,
कहो कैसी कही ?
१०-बेरोजगारी
सरकार के प्रति,
देश के नौजवानों की,
नाराजगी की बजह,
बेरोजगारी है।
जिसके चलते उनकी,
प्रति दिन की कमाई,
हज़ारों नहीं, रेजगारी है।

११-नौकरशाह

भले ही आपकी नौकरी शाही हों,
या तो आप नौकर हो सकते हैं,
या फिर शाह।
राजनीति हो या नौकरशाही हो,
बेमानी सा लगता है,
किसी को भी कहना,
नौकरशाह।

१२-भंडाफोड

खाद्यान्न के अवैध,
भंडारण के खिलाफ,
न तो कोई मुहिम चलाई गयी,
और न ही कोई भंडाफोड हुआ।
कारण कि उसमे,
करोड़ों का बड़ा तोड़ हुआ।

१३-गोताखोर

नदी में आई भीषण बाढ में,
सब कुछ बह गया,
कई गोताखोर काम आगये।
पर वहाँ भी,
जूताखोर कमा गए।
१४-मुआयना
निहारते हुए अपना,
मुं आईने में।
वे शरमा गए,
लगा कि कोई कर रहा,
उनकी हर अदा का मुआयना है।

१५-पालतू

उनका भय तुरंत भाग गया,
जैसे ही उन्होंने पाठ शुरू किया,
जल तूं, जलाल तूं,
आई बाला को टाल तूं।
वे समझ गए, कि यह तो है,
कोई जानवर पालतू,
घूम रहा है फालतू।

१६-जनप्रतिनिधि

जो,
जनता से प्राप्त निधि को,
खा-पचा जाता है।
वही सच्चा,
जनप्रतिनिधि कहलाता है।

२६ अक्तूबर २००९

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