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डॉ. परमेश्वर
गोयल ’काका बिहारी‘ |
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चार क्षणिकाएँ
(एक)
मंदिर-मस्जिद-गुरूद्वारा
या फिर चर्च को
बनाकर हथियार ये
नेता क्यों लड़ते हैं?
भाई!
विषय हो सरल जो
सफलता हेतु
विद्यार्थी उसे ही
पहले पढ़ते हैं।
(दो)
काका!
कल का सीधा सरल
वह ग्रामीण युवा
अब रंगदारों की
श्रेणी में आता है,
भाई, हाँ....
श्रेय इस उत्तम
आदर्श कार्य का
नेताजी को जाता है।
(तीन)
चमचे ने चिंतित हो
नेताजी से कहा-
देश में
समस्याओं का मकड़जाल?
सुनकर नेताजी बोले-
अरे.... मस्ती कर
देश को
चूल्हे में डाल।
(चार)
गिरगिट सी कला
चूना लगाने में चतुर
और साथ-ही-साथ
यदि मुँह जोर है,
तो स्वागत है आपका
हमारे
राष्ट्रीय दल में आइए,
सफल होंगे
पट्टा लिखवाइए।
१८ फरवरी २०१३ |