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सर्दी के हाइकु 

१५

जाडे की दूब
पहना है मुकुट
हेम ओस का।

१६

सोने-सी धूप
दमके शैल चोटी
लगे मुकुट।

१७

ओस की बूँदें
कहे जीवन तो है
क्षणभंगुर।

१८

लो ओढ चले
बर्फ़ की चादर ही
हठीले शैल।

१९

बूँद ओस की
जा बैठी है गोद में
भीगा गुलाब।

२०

रवि भी आज
दबे कदम आया
ठिठुरता-सा।

२१

नव वर्ष में
कोहरे ने फैला ली
ठंडी चादर।

 

--अरविन्द चौहान
२ फरवरी २००९

नवीन वर्ष
खुशियों की सौगात
भुला संताप।

नए साल में
शिशिर हुआ शोख
चंचल मन।

हर्षित हुए
पाखी नव वर्ष में
गूँजे कलरव।

बीते वर्ष ने
थे दिये कुछ शूल
ये मत भूल।

नए वर्ष में
लेते हैं यही प्रण
रहेंगे एक।

लाया शिशिर
साथ नए वर्ष के
गुलाबी ठंड।

हेमंत ने तो
शिशिर को थमाया
ये नव वर्ष

बर्फ़ीली हवा
नमन करती-सी
नव वर्ष को।

फिर नूतन
हुआ है जग सारा
नए वर्ष में।

१०

कली चटकी
सर्द हवा गा उठीं
है नव वर्ष

११

बूँदे ओस की
थिरकती पत्तों पे
नाचती गातीं।

१२

बर्फ़ीली चोटी
ले सूरज की गर्मी
नदिया चली।

१३

ओस की बून्दें
हुई इन्द्रधनुष
ले सूर्य रश्मि।

१४

गुलाबी ठंड
सिकुडते से तन
मन मलंग।

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