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अमलतास के पीले झूमर





 

जब भी देखा तुमको, सोचा पूछूँ
रंग चुराया धूप से तुमने
या फिर कोई रोग लगा है?

झुलसते जलते मौसम में
कैसे तुम लहराते हो?
खुश्क गरम हवाओं को भी
कैसे तुम सह पाते हो?
कैसे तपती धरती को
छाया दे बहलाते हो?

झूमर कुछ पल को मौन रहे
पर फिर भी यूँ बोल गये,
कड़ी धूप नहीं कोई समस्या
ये तो बस है एक तपस्या,
कठिन डगर जीवन की
जो ऐसे ही तय कर पाते हैं,
वो ही रंग और संग जीत का
जीवन में पा जाते हैं।

अल्पना वर्मा
16 जून 2007

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