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बेला का संदेसा
 

बेला का संदेसा
दूती पुरवाई

डाली पर निखरे हैं
हाथ से उठा लो
गूँथों वरमाला में
सेजपर बिछा लो
खुशबू से महकेगी
रात भर जुन्हाई

आपस में कबतक हम
गंध-गंध खेलें
भँवरों के बाणों को
तन-मनपर झेलें
सावन की आवन है
महकी अमराई

सखियाँ चम्पा, जूही
गीत गुनगुनातीं
जोड़ियाँ मयूरों की
करतब दिखलातीं
मधुमासी घड़ियाँ फिर
लेतीं अँगड़ाई

- कुमार गौरव अजीतेन्दु
१५ जून २०१५

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