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बेला बहका था
 

जाने किस बेला में
बेला बहका था
ला, बे ला झट तोड़
मोह कह चहका था

कमसिन कलियों की कुड़माई सुइयों से
मैका छूटा, मिलीं सासरे गुइयों से
खिल-खिल करतीं, लिपट-लिपट बन-सज वेणी
बेला दे संरक्षण स्नेहिल भइयों से
बेलावल का मन
महुआ सा महका था
जाने किस बेला में
बेला बहका था

जाने किस बेला से बेला टकरायी
कौन बता पाये ऊँचाई-गहराई
आब मोतिया जुही, चमेली, चंपा सी
सुलभा संग सितांग करे हँस पहुनाई
बेलन सँग बेलनी की
मौसम दहका था
जाने किस बेला में
बेला बहका था

बेल न बेली, बेलन रखकर चल बाहर
दूर बहुत हैं घर से सच बाबुल नाहर
चंद्र-चंद्रिका सम सिंगार करें हम-तुम
अलबेली ढाई आखर की है चादर
अरुणिम गालों पर
पलाश ही लहका था
जाने किस बेला में
बेला बहका था

- संजीव सलिल
१५ जून २०१५

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