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तुम कमल का एक पत्ता

 
बूँद हूँ मैं
तुम
कमल का एक पत्ता

साथ हूँ जबतक तुम्हारे
मैं चमकता
जगमगाता
और हो जाता अचानक
बूँद से
मैं
एक मोती

और
हटते ही
तुम्हारे पास से
मैं
सिर्फ रह जाता
वही फिर
बूँद...
केवल बूँद!

--राजेंद्र उपाध्याय
२१ जून २०१०

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