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गाँव के ताल में कमल

   
गाँव की तलैया में कमल खिल आया है।
जल्द लौटने का वादा कर
सरहद पर दुश्मन से लड़ते
शहीद हुए फौजी का
शव घर आया है
उसे शीश नवाने
कमल खिल आया है।

शहर पढ़ने गया युवक
गाँव को शहर बनाने
के सपने लेकर
घर वापिस आया है
उसके साथ हाथ मिलाने
कमल खिल आया है।

खेतों में बीज बोकर
अपने पसीने से सींच
झूम उठा है देख किसान
गेहूँ की लहलहाती फसल
उसकी खुशी में शामिल होने
कमल खिल आया है।

तीज के त्योहार पर
अम्बिया के पेडों पर
सखियों संग पींग चढ़ाने
बेटी पीहर वापिस आई है
उसे गले लगाने
कमल खिल आया है।

रोज़ी की तलाश में
परदेस गया पति
नवजात शिशु को देखने
वापिस घर आया है
उसके स्वागत के लिए
कमल खिल आया है।

सुभाषिणी खेतरपाल
२१ जून २०१०

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