|
|
|
पीला फूल कनेर का, सुन्दर
जिसका रुप
अडिग खड़ा हँसता रहे, बारिश हो या धूप!!
सर्प सँपोले झिझकते, पास न फटके कोय!
जिस घर वृक्ष कनेर का, सदा निरोगी होय!!
शिव को भाए पुहुप ये, बिल्वपत्र के साथ!
स्वर्ण दान सम पुष्प ये, हैं जीवन सौगात!!
एक 'आँकड़ा' फूल है स्वर्ण दान के तुल्य!
इक कनेर का पुष्प है सहस आँकड़ा मूल्य!!
अद्भुत
फूल कनेर का, खिले बारहों मास!
जन जन को प्यारा लगे, सुखद सदा सहवास!
- धर्मेन्द्र मणि त्रिपाठी
१६ जून २०१४ |
|
|
|
|