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छेड़े राग कनेर
 
गर्मी बारिश शीत का कैसा भी हो फेर
हर मौसम में गंध का छेड़े राग कनेर

खुली हवाओं में घुली खुशबू ढेरों ढेर
पत्तों में बुलबुल मगर ढूंढे गंध कनेर

हरगिज़ देखे ही नहीं कुछ भी बेर-अबेर
हर पल खुशबू बाँटता मिलता रोज़ कनेर

सुन सकते हो तो सुनो मृदुल गंध की टेर
गुलदस्ता लेकर खड़े चारों ओर कनेर

- कमलेश भट्ट कमल
१६ जून २०१४

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