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कनेर का फूल
 
पीली सी धूप
ओढ़ दुपहरिया
खिलते फूल
कनेर फैले
हरित पात पर
मिलते जैसे पीत दुकूल

चेत हवाएँ
मौन प्रतिकूल
पगडण्डी उदास
चिड़िया भी हाँफती
निरखता कनेर फूल
हवा में उड़ रही
पीत श्वास
सज रहे कनेर के फूल

ढूँढ रही मैं
झील बावली
सरपट दौड़ी
हवा साँवली
धूल मिट्टी से सना कूप
पत्ते भी संग उड़े
कनेर मोड़ पर मिले खड़े

पीली सरसों पीली धूप
बरसा हल्दी का
स्वर्णिम रूप
पग पग चलता
आस बँधाता
रोज नया कनेर का फूल

- मंजुल भटनागर
१६ जून २०१४

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