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नेर के फूल
 
छटा बिखेरते हैं मेज़ पर
गुलाब के फूल
दिलो निगाह करें ताज़ा तर
कनेर के फूल

हर एक मिज़ाज के मौसम का
क़हर सहते हुए
खिला ही करते हैं
वक़्त ए सहर कनेर के फूल

सदाबहार हैं
इनको नज़र नहीं लगती
असर ख़िज़ाँ का करें बेअसर
कनेर के फूल

ज़मीं भिगोती रही
इन से ओस छन छन के
महक लुटाते रहे रात भर
कनेर के फूल

हक़ीम की हो वो तिब,
वैद्य की हो आयुर्वेद
कई मर्ज़ की दवा कारगर
कनेर के फूल

वो लाल भी हैं
गुलाबी सफ़ेद पीले भी
हर एक रंग में नूर ए नज़र
कनेर के फूल

उभार देते हैं
पाकीज़गी का एक एहसास
रहेंगे साथ 'सिया' उम्र भर
कनेर के फूल

- सिया सचदेव
१६ जून २०१४

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