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घना कनेर
 
अपने घर का घना कनेर
छानी छप्पर और मुँडेर

सबको यह सम्मोहन लगता
अपने घर की है यह सज्जा
ताज समझते हम सब इसको
सुंदर लगता अपना छज्जा

सबसे ऊपर चमक रहे हैं
फूलों से जो भरे उँजेर

गली मुहल्ले औ सड़कों पर
कलियाँ पत्ते बीज टपकते
क्या अनुमोदन समझोगे तुम
फूल रंगीले हैं क्या कहते

सबको स्वर्णिम भोर दिखाकर
उड़ जाते हैं खुशी बिखेर

-करन बहादुर
१६ जून २०१४

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