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हम कुटज हैं भाई

 

झाड़ बिछौना छाल रजाई
देखी-भोगी ना पुरवाई
चम्पक ना, हम कुटज हैं भाई

चीर के पत्थर झाँक के देखा
धूलि-कंकड़ फाँक के देखा
नील झील ना हमें सुहाई
कमल नहीं, हम कुटज हैं भाई

ना नदिया ना झरने साथी
नर्म दूब की मिली न थाती
रूखी सूखी धूप ही खाई
कदम्ब नहीं, हम कुटज हैं भाई

पात पुष्प रँग-रूप सुहाना
विघ्नों को विपदा ना माना
मन ही उपवन, मन अमराई
अमलतास ना, कुटज हैं भाई

- शशि पाधा  
१ जुलाई २०१९

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