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नीम हकीम
 

 

देखते ही देखते नीम का पेड़ हो गया इतना बड़ा
इसके आँगन में रहने से देखो फर्क भी कितना पड़ा
आये दिन कोई भी बीमार हो जाया करता था अक्सर
नीम हकीम है घर में जब से कोई बीमार नहीं पड़ा



 


नीम हमारी खातिर हर मौसम से ही लड़ लेता है
तेज धूप के मुँह पर कस कर थप्पड़ भी जड़ देता है
सर्दी के मौसम में घर में धूप गुनगुनी छा जाए
इस खातिर अपनी शाखों से पत्ते भी झड़ देता है


-लक्ष्मीदत्त तरुण
२० मई २०
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