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कालिंदी के तट पर






 

कालिन्दी नदी तट पर
पेड हैं कदम्ब के
श्याम की वंशी से
झुक गयी थी डाली
श्याम फूल चुन करके
राधा का जूडा सजा
मधुर मुस्काते है

बोले रसखान कि
मानव जनम मिले
ऐसी जगह जन्मू
कदम्ब के पेड हो
कालिन्दी बहती हो
यशोदा के लाल जहाँ
राधिका को नचाते है

कदम्ब के पेड की
महिमा को जान लो
फूलो से इत्र बने
पत्ती को कूटने पर
दवाई के सेवन से
मधुमेह जैसे रोग
नष्ट ही हो जाते है

लम्बे और फ़ैले से
अति सुन्दर पेड हरे
मनभावन फूल जिसके
जड़ और पत्ती से
फूल और टहनी तक
ऐसा ना कुछ भी
जो काम ना आते है

भादों के महीने में
पूजा होती कदम्ब की
धार्मिक लोग भारत के
सबके कल्याण हेतु
कदम्ब की टहनी को
आँगन मे लगवा के
इसकी पूजा कराते हैं

--हरि शर्मा
१३ जुलाई २००९

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