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          तुम मेरी रजनीगंधा हो

 

 

मन का हर कोना महकाती
तुम मेरी रजनीगंधा हो

दिन बगिया में रही विहंसती
धूप चढ़ी घर में घुस आई
रजनीगंधा बाहुपाश में
दहकी रात बजी शहनाई
स्मृतियों में हँसती गाती
तुम मेरी रजनीगंधा हो

धवल चाँदनी में भीगी सी
तैर रही है झील किनारे
चाँद नशे में झूम रहा है
मौसम खुश है देख नजारे
बालों को मेरे सहलाती
तुम मेरी रजनीगंधा हो

कोमल मृदु स्पर्श तुम्हारा
नींद उनींदी सी मुस्काये
सिर काँधे पर टिका हुआ है
कुछ सपने ऐसे भी आये
मधु स्वर कानों में बतियाती
तुम मेरी रजनीगंधा हो

- कृष्ण भारतीय
१ सितंबर २०२१

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