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          रजनीगंधा फूल

 

इस आँगन में सजा दिये हैं
किसने रजनीगंधा फूल

किसी पुरानी याद सरीखे
धीरे धीरे उमग रहे हैं
मधुर गंध के दीपक जैसे
इस आसन पर सुलग रहे हैं
इत्र बसी पोटली वाले
गहने रजनीगंधा फूल

दुग्ध हँसी की किरन सरीखे
पोर पोर चाँदनी सजाए
शरद मेघ-सी धवल लुनाई
रूप राग रस रंग नहाए
तारों जड़ी चूनरी वाले
सपने रजनीगंधा फूल

ये थकान के कठिन पलों में
विश्रामों के संग रहे हैं
तुहिन कणों से भीगे-भीगे
मधुर पलों के अंग रहे हैं

रखे सदा सहेजकर मन में
हमने रजनीगंधा फूल

- पूर्णिमा वर्मन
१ सितंबर २०२१

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