अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

          कुछ गुनगुनाएँ

 

 

ख़ुशबू की स्वरलिपियों
पर आओ साथी
कुछ गुनगुनाएँ

एक एक शब्द चुने मन का
सहज सरल स्नेहिल जीवन का
रजनी की बगिया में
रजनीगंधा जैसे
महमहाएँ

पात पात ढोलकिया हो ले
वंशी बन हवा मगन डोले
झींगुर झन झनन झनन
घुँघरू बन आँगन में
झनझनाएँ

मीडें सब पल से पल तक की
आलापें ताने राहत की
आह्लादित मुरकी
की साँकल हौले हौले
खटखटाएँ

- सीमा अग्रवाल
१ सितंबर २०२१

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter