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रूहानी शिरीष
 

ओ शिरीष!
गरम हवाएँ
तुम्हें खिलायें
फुदक शाखों पर
पवन पाखी
पंखी से पुष्प गिरायें
देख तुम्हारे
रंग रूहानी
प्रकृति भी हर्षाये

छुइमुई सी
धूप उन में
चमक दमक भर जाये
क्योंकि हो
ईश्वर के
वरदान शिरीष तुम
ऋतु की पहचान
शिरीष तुम!

- डॉ. सरस्वती माथुर  
     
१५ जून २०
१६

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