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एक कहानी शीशम की
 
आँखों में है दर्ज कहानी शीशम की
राजा नहीं न कोई रानी शीशम की

पुरखों की आशीष के जैसी लगती है
जब-जब देखूँ कोई निशानी शीशम की

माँ की गोदी जैसे शाखों के झूले
ताजा है हर याद पुरानी शीशम की

पत्तों की सीटी, फूलों के गहनों तक
इक पीढ़ी थी कभी दिवानी शीशम की

माँ थी खुशियाँ थी आँगन में शीशम था
'रीत' बचा अब आँख में पानी शीशम की

- परमजीत कौर 'रीत'
१ मई २०१९

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