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पेड़ शीशम का
 
धरा पर पेड़ शीशम का हमें रखना बचाकर है
सदा रखनी हमें शुभ भावना मन की जगाकर है

खड़े दिखते हमें जब ये सड़क के हर किनारे पर
नहीं कोई निकल सकता कभी नजरें चुराकर है

सजाता है धरा को खूबसूरत पेड़ शीशम का
यही सौंदर्य हर परिवेश का रखना बनाकर है

इसी के काष्ठ से सुन्दर बना करती कलाकृतियाँ
जरूरी है बहुत ही अब इसे रखना उगाकर है

फलें फूलें वनों में हर तरह के वृक्ष वन जीवन
हमें इस हेतु हर अवरोध को रखना हटाकर है

इसी के फूल फल पत्ते भरे हैं औषधिय गुण से
सभी के रोग हर लेता महकता-सा गुणाकर है

खुले मन से करें आह्वान हरियाली बचाने का
नहीं रखना हमें निज भावनाओं को दबाकर है

- सुरेन्द्रपाल वैद्य,
१ मई २०१९

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