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अर्पित पात फूल तन मेरा
 
तिनका तिनका हितार्थ अर्पित
मेरी प्रकति यही है साधो

धन्नी बन मैं खड़ा हुआ हूँ
साधे भार तुम्हारे घर का
क्या पाऊँगा सोच न पाया
मोल न आँका अपने कर का

सद्कर्मों को करता अर्जित
मेरी प्रकति यही है साधो

दम न घड़ी भर भी मैं लेता
लोक समर्पित जीवन मेरा
औषधीय गुण धर्म निभाता
पात-मूल नख-शिख तन मेरा
किया धरा ना करता वर्णित
मेरी प्रकति यही है साधो।

काम तुम्हारे हर पल आता
काटो मत अपनी मनमर्ज़ी
मुझे बचाओ शीशम हूँ मैं
मुझको पोषो, तुमसे अर्ज़ी
आपस में गुण रखना चर्चित
मेरी प्रकति यही है साधो

- भावना तिवारी 
१ मई २०१९

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