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तड़तड़ करता भुट्टा निकला






 
तड़तड़ करता भुट्टा निकला
लाल लपट की परतें फाड़

नींबू नमक लगा है इस पर
और मसाला शाही सुंदर
दरी बिछाई पिकनिक वाली,
सज गई अपनी मेज निराली
मुझे क्यों नहीं, चिल्लाते हैं
पप्पू जी की सुनो दहाड़

मक्का है कतार तारों की
छाई बदली लहसुन
दाँत लगाये, निकल न पाये
गाड़ लो फिर तुम नाखून
मिर्च मसाला कम या ज्यादा
तुरंत लिया है ताड़

हमला है तैयार माल पर
चाहत है सबका हो एक
हरी परत खोली थी हमने
आओ मिलकर दें सब सेक
नहीं मिलेगा भुट्टा उसको
जो कहता है इसे कबाड़

चाटेंगे स्वादिष्ट मसाले,
बैठ गपोड़ेबाज
पेट दुखेगा रात रात भर
क्या है कहीं इलाज?
होगा इक नन्हा सा चूहा
खोदे जायें पहाड

- हरिहर झा
१ सितंबर २०२०

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