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घर में भुनते भुट्टे थे






 

रिमझिम बूँदें घिरी घटाएँ
घर में भुनते भुट्टे थे

आओ मुनिया, ताई, चाची
अम्मा ने सबको टेरा है
लेकिन दुद्धी-भुट्टा है जो
छूना मत, वो तो मेरा है

हँसी ठठाकर माँ की सखियाँ
हमने खेले गुट्टे थे

केले के पत्तों के दोने
उनमें भरा चबेना चटपट
गुड़ियों का फिर ब्याह रचाया
खाएँ बराती नटखट नटखट

कम ज़्यादा दानों के ऊपर
लड़ते-भिड़ते गुड्डे थे

उबलें, गेंहूँ लाल चने जब
बाबा को अच्छा लगता था
भरे खेत टर्राते मेढक
जल-जीवन सच्चा लगता था

गाँव सिमट ओसारे में छिप
प्रेमिल मारे सुट्टे थे

- कल्पना मनोरमा
१ सितंबर २०२०

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