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भुट्टा सड़क किनारे






 

भुट्टा भून रहा रमिया की
किस्मत सड़क किनारे

झोली भर उम्मीदें भुनती
चढती शीष उधारी
जला कोयला फूँके साँसें
बेबस भूँख बिचारी
सोच रही जीवन की उधड़न
पल पल मन को मारे

मोती मोती अलग सीप से
कण -कण सुख के दहके
स्वेद बिंदु गंगाजल बनके
नहलाते बह बहके
है निर्वस्त्र अग्नि पर दोनों
साझा कर दुख सारे

दाने चटक चटक कर लाते
राहगीर मुँह पानी
कच्चे पक्के अनुभव लिखते
मार्मिक एक कहानी
नींबू मिर्ची नमक छिडक कर
सुख लेते चटकारे

- पुष्प लता शर्मा
१ सितंबर २०२०

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