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    चैत्र मास है उत्सव वाला

 
चैत्र मास है शीत गमन का
गरमी की शुभ दस्तक मिलती
चैत्र मास है उत्सव वाला
गाँव-गाँव हरियाली खिलती

चैत्र मास की प्रथमा से ही
भोर समय उठ जाना वह
कच्ची लस्सी, नंगे पाँवों
मन्दिर पथ पहचाना वह
शाँत भाव से वहाँ बैठकर
मन को शांति, ऊर्जा मिलती

बारह दरवाजों के भीतर
मेरा शहर समाया था
मन मिलते थे, भाईचारा
आस-पास सब पाया था
आज चैत्र की उन यादों की
मन में झीनी चादर खुलती

सारे दिन रहती थी मस्ती
नशा शीतला माता का
ठऺडा पानी दूध औ' भोजन
देते आशीष माता का.
चेचक की उपचारक देवी
वरदानों का पंखा झलती

- मधु संधु
१ अप्रैल २०२१

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